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यहां, इस कृति के संस्कृत श्लोकों के शब्दों के अर्थ, श्लोकों में आए क्रम में ही
दिये गये है, न कि अन्वय के क्रम में। इस प्रयास में,
श्री नारायणीयम - प्रकाशक - मोतीलाल जालान, गीताप्रेस, गोरखपुर,
की पुस्तक से साहायता ली गई है। एतदर्थ उनका आभार व्यक्त करती हूं।
इस प्रकार के उद्यम के लिए एक महिला स्वाध्याय समिति में आवश्यकता
प्रतीत हुई थी। उस समिति में स्वर्गीय सी. एस. नायर यह स्तोत्र पढा
रहे थे। उन्होंने अत्यन्त विश्वास पूर्वक यह कार्य मुझे सौंपा। जिसे कर के
मैं कृतार्थ हुई। इसके लिए मै उनकी कृतज्ञ हूं। अत्यन्त दीनता से आभार
से यह प्रयास स्वर्गीय एन. एस. वैङ्कटकृष्णन जी को समर्पित करती
हूं जिन्होंने मुझे इस महान ग्रन्थ से परिचित करवाया। दोनों को और
अपने माता पिता को सादर नमन करती हूं।
इसमें कोई त्रुटि हो अथवा कोई सुझाव हो तो पाठकगण अवश्य देवें।
2 नवम्बर 2019 में मेरी मुलाकात श्रीमति वी. मीनाक्षी से हुई। उन्होंने मुझे इस ग्रन्थ का अपनी वाणी में रिकॉर्ड किया हुआ ऑडियो दिया। उनकी अनुमति से वह ऑडियो भी अब हर दशक के श्लोकों के पहले उपलब्ध है।
- आशा मुरारका ([email protected])
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